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वैद व्यास जी को कोन नहीं जनता है दुनिया के सबसे बड़े ग्रन्थ महाभारत के रचियता व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे,ये द्वैपायन के नाम से भी जाने जाते है इन्होने व्यासस्मृति के नाम से स्मृतिग्रन्थ भी लिखा है
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राजाबलि को भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है ऐसा माना जाता है की राजा बलि ने तीनो लोको पर अधिकार कर लिया था स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लेने पर सभी देवताओ के कहने पर विष्णु भगवान ने वामन अवतार लेकर तीन पग भूमि मांग कर दो पग में तीनो लोको को नापकर तीसरे पग में बलि ने अपने सिर को रख दिया था भगवान वामन ने अपना पैर बलि पर रख कर पाताल लोक बेज दिया और वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का वरदान दिया था,ऐसा माना जाता है की बलि अभी भी अपनी प्रजा को देखने साल में एक बार जरुर आते है
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भगवान परशुराम भी युगों युगों से चिरंजीवी है ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र है इनके बचपन का नाम राम था तथा ब्राहमण कुल में जन्मे थे शिव से तपस्या करने पर इनको फरसा मिला जिसके कारण इनका नाम परशुराम पड़ा भगवान परशुराम विष्णु के छठवें अवतार हैं
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महर्षि विश्रवा और असुर कन्या कैकसी के तीन पुत्रो रावण,कुम्भकर्ण और विभीषण थे, ब्रह्मा जी से विभीषण ने भगवद्भक्ति का वरदान माँगा था,इन्होने राम की अपने बड़े भाई के विरुद्ध जाकर सहायता की थी| लंका विजय के उपरांत राम ने इनको राजा बनाया और उनकी सहायता करने के लिए चिरंजीवी होने का वरदान दिया |
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अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं | अश्वत्थामा को महाभारत का शापित योद्धा भी कहा जाता है अश्वत्थामा पांड्वो के सोते हुए पुत्रो को मर दिया था तथा उत्तराके गर्भ को ब्रमास्त्र से नष्टकर दिया था इसलिए श्री कृष्णा ने उनको दुनिया खत्म होने तक भटकने का शाप दिया
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मार्कण्डेय ऋषि आठवा चिरंजीवी कहा जाता है अपनी अल्पायु की बात सुनकर इन्होने भगवन शिव की 16 वर्ष की आयु में कठोर तप किया, जब यमराज इनके प्राण हरने आये तो ये जप कर रहे थे इनको बचाने के लिए शिव को आना पड़ा था और शिव ने इनको अमरत्व का वरदान दिया |
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